किताबें कैसे घटाती हैं बच्चों का स्क्रीन टाइम?

देखो भाई, आजकल का scene तुम भी जानते हो – बच्चा हाथ में mobile phone लेकर game खेल रहा होगा, YouTube shorts देख रहा होगा या फिर Instagram reels में खोया रहेगा। और हम बड़े भी तो यही करते हैं 😂। लेकिन सवाल ये है कि अगर बचपन से ही बच्चे को books पढ़ने की habit डाल दी जाए तो उसका focus, सोचने का तरीका और imagination सब कुछ बदल सकता है।

मैं जब छोटा था ना, तब library का membership लेना किसी gold medal से कम नहीं लगता था। वो किताबों की खुशबू, pages पलटने की आवाज़ – ये सब चीज़ें आज भी याद हैं। और सच बताऊँ, आज भी जब phone से परेशान हो जाता हूँ तो किताब उठाकर पढ़ना सबसे बड़ा digital detox लगता है।


क्यों ज़रूरी है बच्चों के लिए किताबें?

सबसे पहली बात, books बच्चों का imagination level बहुत ऊपर ले जाती हैं। Mobile screen पर तो ready-made चीज़ें मिल जाती हैं – movie, cartoon, animation – सब कुछ बना-बनाया। लेकिन जब बच्चा किताब पढ़ता है तो उसके दिमाग में खुद की picture बनती है।

उदाहरण के लिए, अगर वो “Jungle Book” पढ़ रहा है तो Mowgli कैसा दिख रहा है, Bagheera कैसे बोल रहा है – ये सब बच्चा अपनी imagination से सोचता है। यही creativity उसकी सोच को sharp बनाती है।


Mobile Phone vs Books

अब कोई बोलेगा कि “आज के जमाने में phone से ही तो knowledge मिलती है”। हाँ, सही है भाई, लेकिन problem ये है कि phone पर distractions भी हजार मिलते हैं। एक minute बच्चे ने Google पर “पढ़ाई के लिए best books” search किया और अगले minute YouTube पर “funny cat videos” देखने लग गया 😅।

Books में ये distraction नहीं है। किताब खोली और बस उसमें डूब गए। यही reason है कि reading habits बच्चे का focus improve करती हैं और multitasking से बचाती हैं।


Reading Habits कैसे डालें?

अब बात ये आती है कि बच्चों को books पढ़ने की आदत कैसे डलवाएँ? देखो simple funda है – आदत धीरे-धीरे develop होती है।

  1. Bedtime Reading – छोटे बच्चों के साथ रात में 10-15 मिनट story book पढ़ो। इससे बच्चे को मज़ा भी आएगा और आदत भी बनेगी।
  2. Choice दो – बच्चों को जबरदस्ती history या science की किताब मत पकड़ाओ। उनसे पूछो कि वो क्या पढ़ना चाहते हैं – comics, story books, adventure, कुछ भी।
  3. Screen Time कम करो – अगर दिन में बच्चा 4 घंटे mobile phone चला रहा है तो धीरे-धीरे उसे 3 घंटे, फिर 2 घंटे करो और उस gap को books से fill करो।
  4. Role Model बनो – बच्चे वही करते हैं जो वो घर में देखते हैं। अगर माँ-बाप खुद mobile में scroll करते रहेंगे तो बच्चा भी वही करेगा। Parents को भी किताब उठानी पड़ेगी भाई 😉।

Reading से क्या फायदे होते हैं?

  • Concentration बढ़ता है – किताब पढ़ते समय बच्चा लंबे समय तक एक ही चीज़ पर ध्यान देता है।
  • Language skills improve होते हैं – English हो या Hindi, vocabulary automatically strong होती है।
  • Better Thinking – बच्चा analytical aur critical सोचना सीखता है।
  • Less Screen Addiction – phone aur internet पर depend रहना कम हो जाता है।
  • Emotional Growth – stories पढ़ने से बच्चे empathy aur emotions को समझते हैं।

Books vs Internet: Balance कैसे करें?

मैं ये नहीं कह रहा कि internet बुरा है। आज के जमाने में तो बच्चे को coding, online courses, या फिर current affairs – सब कुछ internet से ही मिलेगा। लेकिन बस balance ज़रूरी है।

Books provide deep knowledge, जबकि internet देता है fast information। दोनों चाहिए, लेकिन starting point हमेशा books होनी चाहिए। इससे बच्चे का दिमाग एक healthy foundation पर खड़ा होता है।


Digital Detox के लिए Books Best हैं

मेरा personal experience है – जब phone पर ज़्यादा time लग जाता है, दिमाग tired हो जाता है। लेकिन जैसे ही किताब पढ़ने बैठता हूँ, mind automatically relax हो जाता है। इसे कहते हैं digital detox

बच्चों के लिए भी यही है। अगर बचपन से ही उन्हें किताबों में मज़ा आने लगेगा तो उनका interest सिर्फ mobile phone aur internet तक limited नहीं रहेगा। वो खुद explore करेंगे, new hobbies अपनाएँगे और सबसे बड़ी बात – उनका focus strong रहेगा।


Final बात – Habit डालो, Pressure मत डालो

देखो भाई, बच्चों को किताबें पढ़ाने के लिए lecture मत दो। ये काम धीरे-धीरे होता है। जब बच्चा देखेगा कि किताब पढ़ने से उसे मज़ा भी आ रहा है और knowledge भी बढ़ रही है, तो वो खुद से time निकालेगा।

Books पढ़ना कोई exam preparation वाली चीज़ नहीं है, ये life skill है। और अगर बचपन से ही ये habit लग जाए तो आगे चलकर बच्चा सिर्फ mobile phone aur internet तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि उसकी सोच और personality दोनों grow करेंगे।

तो अगली बार जब बच्चा phone लेकर game खेले, तो एक छोटी सी comic या story book पकड़ाना। धीरे-धीरे वही उसकी सबसे बड़ी दोस्त बन जाएगी।

By focuskar

मैं अमित जोशी, एक साधारण इंसान हूँ जो कभी इंटरनेट की लत (Internet Addiction) में उलझा हुआ था। अब अपनी डिजिटल डिटॉक्स यात्रा और अनुभवों के ज़रिए दूसरों को सजग जीवन (Mindful Living) और एकाग्रता (Focus) की राह दिखाने का प्रयास कर रहा हूँ। आप अपने अनुभव मुझसे साझा करना चाहें तो मुझे इस ईमेल पर लिख सकते हैं: amitjoshig@gmail.com

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